जयपुर। दुनियाभर के सूदूर क्षेत्रों से मीलों का सफर कर सांभर झील पहुंचने वाले विभिन्न प्रजातियों के पंछी हमारे मेहमान हैं और इनके प्राकृतिक आवास को सुरक्षित रखने और वर्तमान त्रासदी जैसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए विभिन्न स्तरों पर सम्मिलित प्रयास सुनिश्चित किए जाने की आवश्यकता है, लेकिन सांभर सॉल्ट लिमिटेड उसी आवास का हिस्सा होने के कारण उसकी जिम्मेदारी अहम् हो जाती है। इसमें सबसे पहले झील के 90 वर्ग किमी क्षेत्र को कारकस से मुक्त किया जाना जरूरी है। जिला कलक्टर जगरूप सिंह यादव ने जिला पर्यावरण समिति की अध्यक्षता करते हुए इस सम्बन्ध में अधिकारियों को कई निर्देश प्रदान किए।
यादव ने कहा कि सांभर झील में तत्परता से समय पर बचाव कार्य प्रारम्भ किए गए, जिससे लगातार पक्षियों की मौतों में कमी आई है लेकिन स्थिति नियंत्रण मेंं होने के बावजूद निरापद नहीं कही जा सकती जब तक कि एक भी संक्रमित कारकस झील क्षेत्र में रहे। उन्होंने सांभर सॉल्ट्स लिमिटेड के महाप्रबन्धक को निर्देश दिए कि जपोक डेम में कहीं-कहीं, गहराई वाले पानी में और पूरे झील इलाके में अभी भी मृत पक्षियों के शव हो सकते हैं और एक भी संक्रमित मृत पक्षी का शव चेन रिएक्शन से कई पक्षियों की जान ले सकता है, इसलिए हर हाल में कारकस झील क्षेत्र से दूर किया जाना चाहिए। उन्होंने 40 से 50 अतिरिक्त श्रमिकों की व्यवस्था कर कारकस निकलना सुनिश्चित करने एवं यह अभियान एक माह तक और जारी रखने के निर्देश दिए हैंं ताकि लाखों की संख्या में झील मेें पहुंच रहे स्वस्थ पक्षियोें को बोटूलिज्म प्रभावित मृत पक्षियों को खाने से बचाया जा सके।
यादव ने सांभर सॉल्ट्स प्रबन्धन को अपने कार्मिकों को गम बूट, दस्ताने उपलब्ध कराने एवं क्षेत्र में जगह-जगह उच्च क्षमता की दूरबीनों के साथ वॉच टावर स्थापित करने को कहा है ताकि समय-समय पर यहां लिया डेटा रिकॉर्ड में रखा जा सके। उन्होंने हर समय कुछ ऎसे वाहनों की व्यवस्था अपने यहां रखने को कहा है जिसमें झील क्षेत्र का सर्वे किया जा सके। यादव ने कहा कि वर्तमान त्रासदी में यहां एल्गी टॉक्सेनिटी नहीं थी लेकिन इसकी आशंका को देखते हुए अब समय-समय पर झील के पानी की बायलॅाजिकल एवं कैमिकल जांच कर इसका डेटा भी रिकॉर्ड एवं शेयर किया जाना चाहिए।
जिला कलक्टर ने सम्पूर्ण 90 वर्ग किमी झील क्षेत्र का ड्रोन सर्वे कराकर इसका भी रिकॉर्ड संधारित करने को कहा है एवं वर्तमान स्थिति में प्रतिदिन मॉनिटरिंग कराने के लिए निर्देशित किया है। बैठक में डीएफओ कविता सिंह ने बताया कि झील के जयपुर क्षेत्र में 9358 मृत पक्षी हटाए जा चुके हैं, 632 को रेस्क्यू किया गया है एवं 143 को रिंग पहनाई गई है। बैठक में वन विभाग, पशुपालन विभाग, सिविल डिफेंस, एसडीआरएफ, वेटेनरी, चिकित्सा एवं अन्य सम्बन्धित विभागों के प्रतिनिधि, सांभर सॉल्ट्स लिमिटेड एवं एनजीओ के सदस्य शामिल हुए।