तीन माह में 275 प्रकरणों की सुनवाई कर 50 प्रकरणों में दी राहत
जयपुर। उद्योग आयुक्त मुक्तानन्द अग्रवाल ने बताया है कि राज्य में नवगठित चारसूूक्ष्म एवं लघु सुविधा परिषदों ने गठन के तीन माह में ही 9 बैठकों में 275 प्रकरणों की सुनवाई कर करीब 50 प्रकरणों का निस्तारण कर उद्यमियों को बड़ी राहत दी है। उन्होंने बताया कि उद्यमों के विलंबित भुगतानाें से संबंधित प्रकरणों के त्वरित निस्तारण के लिए राज्य में अब एक के स्थान पर चार सूक्ष्म एवं लघु सुविधा परिषदों का गठन किया गया है। उन्होंने बताया कि सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों से प्राप्त सामान का 45 दिनों में भुगतान नहीं होने की स्थिति में सुविधा परिषद में वाद दायर कर उद्यमियों को राहत प्राप्त करने की सुविधा है। एसएम इकाइयों के समय पर भुगतान नहीं होने व भुगतान विवादों के प्रकरणों के निस्तारण के लिए यह परिषद दोनों पक्षों को सुनकर आपसी समझाइश, आर्बिटेशन या अवार्ड जारी कर प्रकरणों का निस्तारण कर सकती है। 45 दिन में भुगतान नहीं करने वाले पक्ष को अवार्ड जारी होने की स्थिति में मूलधन एवं विलंबित अवधि की बैंक ब्याज दर की 3 गुणा दर से ब्याज का भुगतान करना होता है।

 

आयुक्त ने बताया कि एक मोटे अनुमान के अनुसार राज्य में इस तरह के 1750 प्रकरण ऑनलाइन  व ऑफलाइन बकाया है। उन्होंने बताया कि केन्द्र सरकार के एमएसएमईडी एक्ट 2006 के अनुसार राज्य में 2007 से राजस्थान सूक्ष्म एवं लघु उद्यम परिषद नियम बने हुए हैं। उन्होंने बताया कि इन्हें राजस्थान सूक्ष्म एवं लघु उद्यम सुविधा परिषद नियम 2018 द्वारा प्रतिस्थापित किया गया है और राज्य सरकार ने उद्यमियों की सुविधा के लिए प्रदेश में एक के स्थान पर चार सुविधा परिषदों का गठन किया गया है। सुविधा परिषद क्वासी ज्यूडिशियल है और इसके द्वारा जारी अवार्ड की अपील पर 75 प्रतिशत राशि जमा कोर्ट में जमा करानी होती है।

 

अग्रवाल ने बताया कि एसएम इकाइयों के समय पर भुगतान नहीं होने व भुगतान विवादों के प्रकरणों के निस्तारण के लिए यह परिषद दोनों पक्षों को सुनकर निर्णय करती है। प्रकरण ऑनलाइन दर्ज कराने की सुविधा है। उन्होंने बताया कि इनमें से एक सुविधा परिषद का मुख्यालय जोधपुर रखा गया हैं वहीं अन्य तीन सुविधा परिषदों का मुख्यालय जयपुर रखा गया है। उन्होंंने बताया कि इस परिषद की खास बात यह है कि इसमें बैंकर्स कमेटी के चेयरमैन व प्रतिनिधि भी शामिल है।

 

आयुक्त अग्रवाल ने बताया कि इस परिषद का गठन 8 अगस्त 2019 को किया गया था और करीब 3 माह में ही 9 बैठकों का आयोजन कर 275 प्रकरणों की सुनवाई कर 49 प्रकरण निस्तारित कर बड़ी राहत दी गई है।